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6 जनवरी 1989 : माननीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के हत्यारों को दी गई थी फांसी, दो बॉडीगार्ड्स ने की थी हत्या : खालिस्तानियों पर की थी पीएम ने कार्रवाई

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  6 जनवरी   1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के दोषियों सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी दी गई थी। इंदिरा गांधी के दो बॉडीगार्ड्स, बेअंत सिंह और सतवंत सिंह, ने 31 अक्टूबर 1984 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। ये दोनों इंदिरा द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से कथित तौर पर नाराज थे। इस हत्याकांड में एक तीसरा शख्स भी शामिल था, जिसका नाम था केहर सिंह। केहर, हालांकि, इंदिरा पर गोली चलाने में शामिल नहीं था, लेकिन उसे इस हत्या के साजिश रचने का दोषी पाया गया था। बेअंत सिंह को इंदिरा पर गोलियां चलाने के बाद उनके सुरक्षाकर्मियों ने वहीं ढेर कर दिया था। इंदिरा के दो बॉडीगार्ड्स ने की थी उनकी हत्या 31 अक्टूबर 1984 को सुबह करीब 9 बजे इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलीं। इंदिरा गांधी अधिकारियों से चर्चा कर रही थीं। तभी अचानक उनकी सुरक्षा में तैनात सिक्योरिटी गार्ड बेअंत सिंह ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से इंदिरा गांधी पर तीन गोलियां चलाईं। बेअंत सिंह ने उनसे थोड़ी ही दूर पर खड़े सतवंत सिंह से चिल्लाकर कहा- ‘देख क्या रहे हो? गोली चलाओ।’ सतवंत ने तुरंत अपनी ऑटो...

समझे मानसिक युद्ध कूटनीति सावधान नायक पर विश्वास रखे दिशा भ्रम जैसे ही सत्य भ्रम फैलाया जाता है जिससे भ्रम भी सत्य लगता है राष्ट्रवादियों सावधान अपने नायक का 2027 में गिर साथ दे हमारे इतिहास के साथ यही षड़यंत्र रचा जा रहा है

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  किसी भी देश का मूर्ख विपक्ष या फिर पैसे पर बिका हुआ दलाल विपक्ष एक जीती हुई युद्ध को कैसे हरा देता है वह ब्रिटेन और अर्जेंटीना के बीच हुए फॉकलैंड युद्ध से पूरी दुनिया जान गई है फॉकलैंड अर्जेंटीना से लगा हुआ विशाल द्वीप समूह है जो ब्रिटेन का उपनिवेश है जैसे भारत से लगा हुआ अंडमान है लेकिन अंग्रेज भारत से जाते-जाते अंडमान को भारत के हवाले कर गए लेकिन अंग्रेजों ने फॉकलैंड पर कब्जा बरकरार रखा  फिर 80 के दशक में अर्जेंटीना ने फॉकलैंड को अपना दीप समूह घोषित कर दिया और फॉकलैंड पर हमला करके वहां ब्रिटिश आर्मी को तबाह कर दिया क्योंकि यह युद्ध अर्जेंटीना के पास लड़ा जा रहा था इसलिए इस युद्ध में अर्जेंटीना पलड़ा बहुत भारी था ब्रिटेन की प्रधानमंत्री उस वक्त मार्गेट थैचर थी  अर्जेंटीना ने अपने एक विशाल युद्धपोत को समुद्र में एक गुप्त ठिकाने पर रखा हुआ था और वहां से वह ब्रिटिश जहाजों पर मिसाइल से हमला कर रहा था इस युद्ध में ब्रिटेन लगभग हार गया था  तभी ब्रिटेन के एक मिलिट्री एडवाइजर ने मार्गेट थैचर से कहा कि आप मीडिया में अपने मंत्री के द्वारा एक खबर चलाइए कि हम ने अर्जेंटीना के...

जानें, क्यों हवन में होता है आम की ही लकड़ी का उपयोग

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  देखें अमेज़न पर मेगा इलेक्ट्रॉनिक दिवस - लैपटॉप, स्मार्टवॉच आदि पर 80% तक की छूट पाएं डील देखें अमेज़न वार्डरोब रिफ्रेश सेल- फैशन और सौंदर्य उत्पादों पर 50-70% की छूट डील देखें फ्रांस  के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की, जिसमें उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि आखिर हवन में आम की लकड़ियों का ही प्रयोग क्यों किया जाता है? रिसर्च में सामने आया कि जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है। जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है तथा वातावरण को शुद्ध करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला। गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है। वैज्ञानिक टौटीक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में पाया कि यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाए अथवा हवन के धुएं से शरीर का संपर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फैलानेवाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है। मंगल भवन के आचार्य भास्कर आमेटाजी बताते है कि हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च की। क्या वा...

वामपंथी विचारधारा नालंदा को हिंदुओं ने जला डाला था, नया इतिहास सामने आया

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  अब शुरू होगा हिंदुओं का सत्यानाश ना तो बहुत बचेंगे ना चैन ना हिंदू तुम लड़ते रहो जातियों में तुम्हें खत्म कर दिया जाएगा एक दिन यह चाल एक दिन में नहीं बनी सदियों से चली आ रही है ऐसा कहा जाता है कि जब नालंदा विध्वंस (Nalanda) किया गया, तो वहां की किताबों और पांडुलिपियों में लगी आग तीन महीने तक जलती रही थी. और, झाओं, थापरों, हबीबों जैसे इतिहासकारों पर इस बात का बोझ हमेशा से रहा है कि वे नालंदा विध्वंस के लिए हिंदुओं (Hindu) को दोषी ठहराएं. और, बख्तियार खिलजी (Bakhtiyar Khilji) को बाइज्जत बरी करें. फिर चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी अप्रमाणित तर्क ही क्यों न देना पड़े. नालंदा हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा लगाई गई आग में गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था. फिर भी इसके विनाश का श्रेय बख्तियार खिलजी को दिया जाता है. हालांकि, खिलजी ने पास के एक विहार को हटाया था, लेकिन वह कभी नालंदा नहीं गए.' - ये कहना है इतिहासकार माने जाने वाले डीएन झा का. जिन्होंने प्राचीन भारत और मध्यकालीन इतिहास पर कई किताबें लिखी हैं. 'द कारवां' मैगजीन ने डीनएन झा द्वारा इतिहास की इस नई खोज को काफी अच्छे से जगह दी...

लाशों से भरी एक गाड़ी के आखिरी डिब्बे पर लिखा था ‘नेहरू-पटेल को हमारी सौगात’

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  दोनों देशों के लिए एक ही शब्द के मायने अलग थे, ' विभाजन ' पाकिस्तान के लिए आजादी का जश्न था. भारत के लिए दुखों की महागाथा. पाकिस्तान के वजूद में आने के फौरन बाद सरदार पटेल ने कहा था,"हमने जहर को अलग कर दिया." वक्त ने साबित किया कि वह धमनियों में फूट-फूट कर बहता ही गया. लाशों से भरी अमृतसर पहुंचने वाली ट्रेन के आखिरी डिब्बे पर लिखा था ‘ नेहरू,पटेल को हमारी सौगात ’16 अगस्त 1946 को जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन नारे के साथ साथ देश में साम्प्रदायिकता की लपटें उठनी शुरु हुईं. फिर ये लगातार तेज होती गईं. मार्च 1947 तक पंजाब उसकी चपेट में आ गया. हिन्दू-सिखों पर पश्चिमी पंजाब में हमले और उनकी हत्याएं तभी से शुरू हो गईं. अगस्त आने तक वहां से उनके सफाए का अभियान पूरे उफ़ान पर था, उनके घर-बस्तियां आग के हवाले की गईं. औरतों-लड़कियों-बच्चों के साथ हमलावरों ने हैवानियत की हदें पार कर दीं. लाहौर के गवर्नर हाउस में 15 अगस्त को  पाकिस्तान की आजादी  की खुशी की दावत के वक्त अचानक बिजली गुल हुई और अंधेरा छा गया. आगे की दावत दूर तक जल रहे मकानों की रोशनी और लगातार चल रही गोलीबारी की आवाजों के ...

नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी ---कुर्मी कुल गौरव नरसिम्हा रेड्डी भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे

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  नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी – Narasimha Reddy Biography Hindi नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी (English – Narasimha Reddy) नरसिम्हा रेड्डी भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे। वह पहले देशभक्त थे, जिन्होंने ब्रिटिस शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। उन्होने 1847 में किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई और अंग्रेज़ों से लोहा लिया।   संक्षिप्त विवरण नाम नरसिम्हा रेड्डी पूरा नाम,  अन्य नाम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी जन्म 24 नवंबर, 1806 जन्म स्थान उय्यालवडा, ज़िला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश पिता का नाम उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी जाति कुर्मी राष्ट्रीयता भारतीय मृत्यु मृत्यु स्थान 22 फरवरी, 1847 कोइलकुंटला, ज़िला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश मृत्यु  कारण फ़ाँसी जन्म – नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी नरसिम्हा रेड्डी का जन्म  24 नवंबर , 1806 में उय्यालवडा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश के एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी था। उनके दादा का नाम जयारामी रेड्डी तथा उनके पिता का नाम उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी था। विद्रोह रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों के अधिकार कर...

नीतीश कुमार ने क्यों मारी पलटी..जान लीजिए क्या रही I.N.D.I.A. गठबंधन छोड़ने की 5 वजह

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Nitish Kumar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महागठबंधन (Mahagathbandhan) से दूरी और NDA से नजदीकियां क्या सिर्फ एक दिन का खेल है? शायद नहीं. तो चलिए आपको बताते हैं नीतीश कुमार के पलटने की पूरी कहानी......... 5 Reasons why Nitish Kumar Left I.N.D.I.A. Alliance:  राजनीति, एक ऐसी जगह जहां सबकुछ जायज है. सियासत में ना कोई परमानेंट दोस्त होता है और ना ही दुश्मन. और बात जब बिहार और नीतीश कुमार की हो तो ये कहावत पूरी तरह सटीक साबित हो जाती है. पलटी मारने के लिए मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने फैसले से सियासी दिग्गजों को फिर चौंका दिया है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले I.N.D.I.A. गठबंधन को ऐसा झटका दिया कि विपक्षी नेताओं का उबरना आसान नहीं है. करीब 2 साल तक पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को कोसने वाले नीतीश को, मोदी के सहारे ही 24 की चुनावी नैय्या पार होती दिख रही है. लेकिन, महागठबंधन (Mahagathbandhan) से दूरी और NDA से नजदीकियां क्या सिर्फ एक दिन का खेल है? शायद नहीं. तो चलिए आपको बताते हैं नीतीश कुमार के पलटने की पूरी कहानी....