नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी ---कुर्मी कुल गौरव नरसिम्हा रेड्डी भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे

 

नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी – Narasimha Reddy Biography Hindi

नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी
नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी

(English – Narasimha Reddy)नरसिम्हा रेड्डी भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे।

वह पहले देशभक्त थे, जिन्होंने ब्रिटिस शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह किया।

उन्होने 1847 में किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई और अंग्रेज़ों से लोहा लिया।

 

संक्षिप्त विवरण

नामनरसिम्हा रेड्डी
पूरा नाम, अन्य नाम
उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी
जन्म24 नवंबर, 1806
जन्म स्थानउय्यालवडा, ज़िला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश
पिता का नामउय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी
जातिकुर्मी
राष्ट्रीयताभारतीय
मृत्यु
मृत्यु स्थान
22 फरवरी, 1847

कोइलकुंटला, ज़िला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश

मृत्यु  कारण
फ़ाँसी

जन्म – नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी

नरसिम्हा रेड्डी का जन्म 24 नवंबर, 1806 में उय्यालवडा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश के एक सैन्य परिवार में हुआ था।

उनका पूरा नाम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी था।

उनके दादा का नाम जयारामी रेड्डी तथा उनके पिता का नाम उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी था।

विद्रोह

रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों के अधिकार करने के बाद नरसिम्हा रेड्डी ने अंग्रेजों के साथ इस क्षेत्र की आय को साझा करने से इनकार कर दिया था। वह एक सशस्त्र विद्रोह के पक्ष में थे। वह युद्ध में गोरिल्ला रणनीति का इस्तेमाल किया करते थे। 10 जून, 1846 को उन्होंने कोइलकुंटला में खजाने पर हमला किया और कंबम (जिला प्रकाशम्) की तरफ प्रस्थान किया।

उन्होंने वन रेंजर रूद्राराम को मारकर विद्रोह किया। जिला कलेक्टर ने विद्रोह को बड़ी गंभीरता से लिया और कैप्टन नॉट और वाटसन को नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने का आदेश दिया। वह अपने प्रयास में असफल रहे।

ब्रिटिश सरकार की घोषणा

ब्रिटिश सरकार ने नरसिम्हा रेड्डी की सूचना देने वाले को 5000 रुपये और उनके सिर के लिए 10000 रुपये देने की घोषणा की, जो उन दिनों में एक बड़ी रकम थी। 23 जुलाई, 1846 को नरसिम्हा रेड्डी ने अपनी सेना के साथ गिद्दलूर में ब्रिटिश सेना के ऊपर आक्रमण कर दिया और उन्हें हरा दिया।

नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने के लिए ब्रिटिश सेना ने उनके परिवार को कदपा में बन्दी बना लिया। अपने परिवार को मुक्त करने के प्रयास में वह नल्लामला वन चले गए। जब अंग्रेजों को पता लगा की वह नल्लामला वन में छिपे हैं, तब अंग्रेजों ने अपनी गतिविधियों को और ज्यादा मजबूत कर दिया, जिसके बाद नरसिम्हा रेड्डी कोइलकुंतला क्षेत्र में वापस आ गए और गांव रामबाधुनीपल्ले के पास जगन्नाथ कोंडा में मौके का इंतजार करने लगे।

योगदान – नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी

Narasimha Reddy  ने 1847 में किसानों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और अंग्रेज़ों से लोहा लिया।

उन्हें अल्लागड्डा क्षेत्र से अपने दादा से कर वसूलने की जिम्मेदारी मिली थी।

किसानों पर अंग्रेज़ों के जुल्म बढ़ते जा रहे थे। इन्हीं जुल्मों और अत्याचारों के विरुद्ध नरसिम्हा रेड्डी उठ खड़े हुए थे।

गिरफ़्तारी

ब्रिटिश अधिकारियों को उनके कोइलकुंतला के ठिकाने की जानकारी मिली, जिसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने वह क्षेत्र रातों-रात घेर लिया। 6 अक्टूबर, 1846 को आधी रात के समय उन्हें गिरफ़्तार करके बन्दी बना लिया गया।

कोइलकुंतला में उनके पकड़े जाने के बाद उन्हें बुरी तरह से पीटा गया, उनको मोटी-मोटी जंजीरों से बांधा गया था और कोइलकुंतला की सड़कों पर खून से सने हुए कपड़े में ले जाया गया ताकि किसी अन्य व्यक्ति को ब्रिटिश के खिलाफ विद्रोह करने की हिम्मत ना हो सके।

मृत्यु

नरसिम्हा रेड्डी के साथ विद्रोह करने लिए 901 लोगों पर भी आरोप लगाया गया।

इसके बाद में उनमें से 412 लोगों को बरी कर दिया गया और 273 लोगों को जमानत पर रिहा किया गया।

112 लोगों को दोषी ठहराया गया।

उन्हें 5 से 14 साल के लिए कारावास की सजा सुनाई गई।

कुछ को तो अंडमान द्वीप समूह की एक जेल में भेज दिया गया।

नरसिम्हा रेड्डी पर हत्या और राजद्रोह करने का आरोप लगाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।

छ: सप्ताह बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से जुर्रेती बैंक, कोइलकुंटला, जिला कुर्नूल में सुबह 7 बजे, सोमवार,
22 फरवरी, 1847 को फांसी दी गई।

उनकी फांसी को देखने के लिए करीब दो हजार लोग उपस्थित थे।

सम्मान – नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी

  • नरसिम्हा रेड्डी द्वारा बनाए गए किले आज भी उय्यलावडा, रूपनगुड़ी, वेल्ड्रथी और गिद्दलुर जैसे स्थानों पर मौजूद हैं। प्रथम स्वतंत्रता सेनानी उय्यालवडा नरसिम्हा रेड्डी की 170वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए 22 फ़रवरी, 2017 को उय्यालवडा में एक विशेष आवरण जारी किया गया था।
  • 2019 की तेलुगू फ़िल्म ‘सई रा नरसिम्हा रेड्डी’ स्वतंत्रता सेनानी उय्यालवडा नरसिम्हा रेड्डी के जीवन शैली पर आधारित है। इस फिल्म में चिरंजीवी, अमिताभ बच्चन, नयनतारा, कीचा सुदीप, विजय सेतुपति और जगतपति बाबू की महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं।

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