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वामपंथी विचारधारा नालंदा को हिंदुओं ने जला डाला था, नया इतिहास सामने आया

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  अब शुरू होगा हिंदुओं का सत्यानाश ना तो बहुत बचेंगे ना चैन ना हिंदू तुम लड़ते रहो जातियों में तुम्हें खत्म कर दिया जाएगा एक दिन यह चाल एक दिन में नहीं बनी सदियों से चली आ रही है ऐसा कहा जाता है कि जब नालंदा विध्वंस (Nalanda) किया गया, तो वहां की किताबों और पांडुलिपियों में लगी आग तीन महीने तक जलती रही थी. और, झाओं, थापरों, हबीबों जैसे इतिहासकारों पर इस बात का बोझ हमेशा से रहा है कि वे नालंदा विध्वंस के लिए हिंदुओं (Hindu) को दोषी ठहराएं. और, बख्तियार खिलजी (Bakhtiyar Khilji) को बाइज्जत बरी करें. फिर चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी अप्रमाणित तर्क ही क्यों न देना पड़े. नालंदा हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा लगाई गई आग में गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था. फिर भी इसके विनाश का श्रेय बख्तियार खिलजी को दिया जाता है. हालांकि, खिलजी ने पास के एक विहार को हटाया था, लेकिन वह कभी नालंदा नहीं गए.' - ये कहना है इतिहासकार माने जाने वाले डीएन झा का. जिन्होंने प्राचीन भारत और मध्यकालीन इतिहास पर कई किताबें लिखी हैं. 'द कारवां' मैगजीन ने डीनएन झा द्वारा इतिहास की इस नई खोज को काफी अच्छे से जगह दी...

लाशों से भरी एक गाड़ी के आखिरी डिब्बे पर लिखा था ‘नेहरू-पटेल को हमारी सौगात’

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  दोनों देशों के लिए एक ही शब्द के मायने अलग थे, ' विभाजन ' पाकिस्तान के लिए आजादी का जश्न था. भारत के लिए दुखों की महागाथा. पाकिस्तान के वजूद में आने के फौरन बाद सरदार पटेल ने कहा था,"हमने जहर को अलग कर दिया." वक्त ने साबित किया कि वह धमनियों में फूट-फूट कर बहता ही गया. लाशों से भरी अमृतसर पहुंचने वाली ट्रेन के आखिरी डिब्बे पर लिखा था ‘ नेहरू,पटेल को हमारी सौगात ’16 अगस्त 1946 को जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन नारे के साथ साथ देश में साम्प्रदायिकता की लपटें उठनी शुरु हुईं. फिर ये लगातार तेज होती गईं. मार्च 1947 तक पंजाब उसकी चपेट में आ गया. हिन्दू-सिखों पर पश्चिमी पंजाब में हमले और उनकी हत्याएं तभी से शुरू हो गईं. अगस्त आने तक वहां से उनके सफाए का अभियान पूरे उफ़ान पर था, उनके घर-बस्तियां आग के हवाले की गईं. औरतों-लड़कियों-बच्चों के साथ हमलावरों ने हैवानियत की हदें पार कर दीं. लाहौर के गवर्नर हाउस में 15 अगस्त को  पाकिस्तान की आजादी  की खुशी की दावत के वक्त अचानक बिजली गुल हुई और अंधेरा छा गया. आगे की दावत दूर तक जल रहे मकानों की रोशनी और लगातार चल रही गोलीबारी की आवाजों के ...

नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी ---कुर्मी कुल गौरव नरसिम्हा रेड्डी भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे

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  नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी – Narasimha Reddy Biography Hindi नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी (English – Narasimha Reddy) नरसिम्हा रेड्डी भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे। वह पहले देशभक्त थे, जिन्होंने ब्रिटिस शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। उन्होने 1847 में किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई और अंग्रेज़ों से लोहा लिया।   संक्षिप्त विवरण नाम नरसिम्हा रेड्डी पूरा नाम,  अन्य नाम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी जन्म 24 नवंबर, 1806 जन्म स्थान उय्यालवडा, ज़िला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश पिता का नाम उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी जाति कुर्मी राष्ट्रीयता भारतीय मृत्यु मृत्यु स्थान 22 फरवरी, 1847 कोइलकुंटला, ज़िला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश मृत्यु  कारण फ़ाँसी जन्म – नरसिम्हा रेड्डी की जीवनी नरसिम्हा रेड्डी का जन्म  24 नवंबर , 1806 में उय्यालवडा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश के एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी था। उनके दादा का नाम जयारामी रेड्डी तथा उनके पिता का नाम उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी था। विद्रोह रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों के अधिकार कर...

नीतीश कुमार ने क्यों मारी पलटी..जान लीजिए क्या रही I.N.D.I.A. गठबंधन छोड़ने की 5 वजह

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Nitish Kumar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महागठबंधन (Mahagathbandhan) से दूरी और NDA से नजदीकियां क्या सिर्फ एक दिन का खेल है? शायद नहीं. तो चलिए आपको बताते हैं नीतीश कुमार के पलटने की पूरी कहानी......... 5 Reasons why Nitish Kumar Left I.N.D.I.A. Alliance:  राजनीति, एक ऐसी जगह जहां सबकुछ जायज है. सियासत में ना कोई परमानेंट दोस्त होता है और ना ही दुश्मन. और बात जब बिहार और नीतीश कुमार की हो तो ये कहावत पूरी तरह सटीक साबित हो जाती है. पलटी मारने के लिए मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने फैसले से सियासी दिग्गजों को फिर चौंका दिया है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले I.N.D.I.A. गठबंधन को ऐसा झटका दिया कि विपक्षी नेताओं का उबरना आसान नहीं है. करीब 2 साल तक पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को कोसने वाले नीतीश को, मोदी के सहारे ही 24 की चुनावी नैय्या पार होती दिख रही है. लेकिन, महागठबंधन (Mahagathbandhan) से दूरी और NDA से नजदीकियां क्या सिर्फ एक दिन का खेल है? शायद नहीं. तो चलिए आपको बताते हैं नीतीश कुमार के पलटने की पूरी कहानी....

ईरान ( फ़ारस )दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैl साम्राज्य के तहत मिस्री, अरब, यूनानी, आर्य (ईरान), यहूदी तथा अन्य कई नस्ल के लोग थे

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  ईरान दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में साइरस महान ने हख़ामनी साम्राज्य की स्थापना की जो इतिहास के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक बना। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में सिकंदर ने इस साम्राज्य को परास्त कर दिया। यूनानी राज के बाद इस पर पहलवी तथा सासानी साम्राज्यों का राज रहा। अरब मुसलमानों ने सातवीं शताब्दी ईस्वी में इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और इसका इस्लामीकरण किया। आगे चलके यह इस्लामी संस्कृति और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बन गया। इसकी कला, साहित्य, दर्शन और वास्तुकला इस्लामी स्वर्ण युग के दौरान इस्लामी दुनिया में और उससे आगे फैल गई। तुर्क और मंगोल शासन के बाद पंद्रहवीं शताब्दी में ईरान फिर से एकजुट हुआ। उन्नीसवीं सदी तक इसने अपनी काफ़ी ज़मीन खो दी थी। 1953 के तख्तापलट ने निरंकुश शासक मोहम्मद रज़ा पहलवी को और ताकतवर बना दिया जिसने दूरगामी सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की। इस्लामी क्रांति के बाद ईरान को 1979 में इस्लामी गणराज्य घोषित किया गया था। आज, ईरान एक इस्लामी गणराज्य तथा धर्मतंत्र है। ईरानी सरकार मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता के हनन के ल...

मांस का मूल्य

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  मांस का मूल्य मगध सम्राट बिंन्दुसार ने एक बार अपनी सभा मे पूछा :  देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए  सबसे सस्ती वस्तु क्या है ? मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये ! चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत श्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब, जब प्रकृति का प्रकोप न हो, ऎसी हालत में अन्न तो सस्ता हो ही नहीं सकता ! तब शिकार का शौक पालने वाले एक सामंत ने कहा : राजन,  सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस है,  इसे पाने मे मेहनत कम लगती है और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है । सभी ने इस बात का समर्थन किया, लेकिन प्रधान मंत्री चाणक्य चुप थे ।  तब सम्राट ने उनसे पूछा :  आपका इस बारे में क्या मत है ?  चाणक्य ने कहा : मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूंगा ! रात होने पर प्रधानमंत्री उस सामंत के महल पहुंचे, सामन्त ने द्वार खोला, इतनी रात गये प्रधानमंत्री को देखकर घबरा गया । प्रधानमंत्री ने कहा :  शाम को महाराज एकाएक बीमार हो गये हैं, राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते हैं, इसलिए मैं आपके पास आपक...