मेरे एक मुस्लिम दोस्त ने कश्मीर फाइल्स मूवी देखी तो उसका कहना था कि जब देश में सब सही चल रहा होता है तभी कुछ न कुछ हिंदू मुस्लिम विवाद पैदा होता है, कौन करता है....


 सही कहा है।

1989 में कश्मीर में सब कुछ सही था और ये व्यापक नरसंहार हो गया। ये नरसंहार तब भी समाप्त नहीं हुआ आज भी जारी है। जो अन्य इलाको में कुछ हिन्दू परिवार रह गए थे वो भी छोड़ छोड़कर भाग रहे हैं। पुरानो की वापसी तो बहुत दूर की बात है।

2002 में भी सब कुछ सही था और रेल का डिब्बा जलाया गया और दंगे भड़के।

अच्छा खासा देश की आजादी का संधर्ष चल रहा था लेकिन ज्यो ही देश आजाद होने लगा तो 16 अगस्त 1946 को Direct Action Day घोषित हुआ और दंगे भड़क गए।

अग्रेजो से संघर्ष करना तो दूर , 1922 में इसी प्रकार हिन्दुओ केरल से भगाया गया जिसको स्वतंत्रता संग्राम का नाम देकर आजादी के बाद भी हत्यारों को पेंशन दी गई।

ना जाने कितनी बार जब देश में सब कुछ सही था देश की शान्ति भंग हुई है। भय ये है कि ऐसा और कितनी बार होगा।

जो अजीब बात है वो आपके मित्र का इस फिल्म के आने से शायद सब कुछ सही ना रहे ऐसा भाव है। यदि उनका पक्ष ये है कि ये नरसंहार हुआ है और गलत हुआ है तो भला उसके सामने आने से कैसा परहेज। यदि भारत के मुसलमान खुलकर उस नरसंहार का विरोध करें तो वे दिल जीत लेंगे अगर दिल जीतने की उनमे चाह हो। यदि जिहाद दिल जीतने से अधिक महत्वपूर्ण है तो अवश्य ही बहाने ढूँढने पड़ेगे , पुराने नरसंहारों को छुपाना पड़ेगा।

विश्व भर के मुसलमानों को इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि आतंकवाद का खुलकर विरोध क्यों नहीं होता ? क्या उस पर पर्दा डालना काम आ रहा है ?

जर्मनी में जो यहूदी कत्लेआम हुआ उसका विरोध हर ईसाई ने किया। किसी ने नहीं कहा कि इस पर फिल्म बनाना शांति भंग करेगा । क्या उस कत्लेआम को खुलकर दिखाने से ईसाईयों का नुकसान हुआ ? नहीं ! बल्कि ईसाईयों ने तो सदियों तक यहूदियों पर अत्याचार किये थे वो छिप गए और केवल एक हिटलर दोषी बन गया। अब यहूदियों ने भी वर्तमान व्यवहार देखकर बाकी पुरानी बाते भुला दी।

भारत में जब कोई ये मानने को ही तैयार नहीं है कि जो हुआ गलत हुआ , तो ये भय तो रहेगा कि कल कश्मीर में हुआ , आज केरल में हो जाए तो ? पश्चिमी बंगाल में हो जाए तो ?

सब अच्छा तभी होगा जब सब ये स्वीकारेंगे कि ये जो नरसंहार हुआ था वो गलत था। जब हर ओर से ये स्वीकारा जाएगा , तभी विश्वास होगा कि शायद ऐसा भविष्य में ना हो। सच को दबाना थोड़े समय के लिए काम करता है लम्बे समय के लिए नहीं।


कुछ टिप्पणियों के बाद स्पष्टीकरण:

बँटवारे की माँगो पर विचार

सामान्य लोग अपनी भाषा , संस्कृति और अर्थव्यवस्था के कारण बँटवारे की माँग करते हैं जैसा इग्लैंड में स्कॉटलैंड की माँग है। या कनाडा में क्यूबेक की माँग है। पाकिस्तान की जब माँग हुई तब उसका कोई ऐसा आधार नहीं था। केवल अलग मजहब के कारण अलग देश की माँग हुई जिसको उत्तर प्रदेश , बिहार, बंगाल के मुसलमानो का शत प्रतिशत (ये तब के चुनावी आँकड़ों पर आधारित बात है ) समर्थन मिला। जो यहाँ रह गए उनका भी। और अब ये बिलकुल झूठ है कि ये पंथ निरपेक्ष थे इसलिए उन्हें भारत में रहना था।

बांग्लादेशी घुसपैठियों का संहार

1983 के असम के नल्ली की जहाँ तक बात है। देखिये आप बँटवारा करके फिर से इस देश में वापस नहीं आ सकते ताकि एक और बँटवारा हो सके. जब सरकारे सस्ते वोट बैंक को बाहर से बुलाने लगेंगी तो जनता को विद्रोह करना ही पड़ेगा। ये एक युद्ध था जो बांग्लादेश के नागरिकों और भारत के नागरिको के बीच हुआ। दो देशो के बीच युद्ध होता है दंगा नहीं। इसमें ये नहीं कहा गया कि या तो हिन्दू बनो या यहाँ से भागो।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
भारतीय मुस्लिम जिहादी सुअरो अब हिंदुओ की एकता से इस्लाम भारत से मिटता दिख रहा है ये हर mulla मौलवी सूफी काजी इसको बचाने के लिए हर षड्यंत्र पैंतरे चल रहा है।
जो काम 1400 सौ वर्षो में ही करना था वो अब कर रहे है।
अब समय सर झुकाने का नही है अस्त्र शस्त्र उठाओ और चलाओ ।
एक ही नारा
एक ही नाम
जय श्री राम
जय जय श्री राम।

Top Posts

‘द ग्रेट खली’ हुए भाजपा में शामिल, Great Khali joins BJP:

मौत का कारोबार, दूसरों की मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है, शाकाहारी

सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर जावेद अख्तर का ट्वीट, बोले- विचार अच्छा लेकिन चयन ठीक नहीं

बिपिन रावत जी की मौत पर खुशी मनाने वालों से नाराज फिल्ममेकर अली अकबर ने छोड़ा इस्लाम

6 जनवरी 1989 : माननीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के हत्यारों को दी गई थी फांसी, दो बॉडीगार्ड्स ने की थी हत्या : खालिस्तानियों पर की थी पीएम ने कार्रवाई

ॐयोगी कौन हैं, एक नया किस्सा, दिललचस्पॐ

भोपाल गैस त्रासदी में कैसे बचा कुशवाह परिवार गाय और हवन की शक्ति सनातन भक्ति

गंग वंश,काकतीय वंश इतिहास गंगवार

BJP and Samajwadi Party Manifesto: भाजपा और सपा ने अपने घोषणा पत्र में किए क्या वादे, पढ़ें

गांव गांव और शहर शहर में, हर तरफ हरियाली हो